दुर्गा सप्तशती पाठ विधि
- सर्वप्रथम साधक को स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए।
- तत्पश्चात वह आसन शुद्धि की क्रिया कर आसन पर बैठ जाए।
- माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें।
- शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर चार बार आचमन करें।
- इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण करके हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर देवी को अर्पित करें तथा मंत्रों से संकल्प लें।
- देवी का ध्यान करते हुए पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करें।
- फिर मूल नवार्ण मन्त्र से पीठ आदि में आधारशक्ति की स्थापना करके उसके ऊपर पुस्तक को विराजमान करें। इसके बाद शापोद्धार करना चाहिए।
- इसके बाद उत्कीलन मन्त्र का जप किया जाता है। इसका जप आदि और अन्त में इक्कीस-इक्कीस बार होता है।
-इसके जप के पश्चात् मृतसंजीवनी विद्या का जप करना चाहिए।
तत्पश्चात पूरे ध्यान के साथ माता दुर्गा का स्मरण करते हुए दुर्गा सप्तशती पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- सर्वप्रथम साधक को स्नान कर शुद्ध हो जाना चाहिए।
- तत्पश्चात वह आसन शुद्धि की क्रिया कर आसन पर बैठ जाए।
- माथे पर अपनी पसंद के अनुसार भस्म, चंदन अथवा रोली लगा लें।
- शिखा बाँध लें, फिर पूर्वाभिमुख होकर चार बार आचमन करें।
- इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आदि देवताओं एवं गुरुजनों को प्रणाम करें, फिर पवित्रेस्थो वैष्णव्यौ इत्यादि मन्त्र से कुश की पवित्री धारण करके हाथ में लाल फूल, अक्षत और जल लेकर देवी को अर्पित करें तथा मंत्रों से संकल्प लें।
- देवी का ध्यान करते हुए पंचोपचार विधि से पुस्तक की पूजा करें।
- फिर मूल नवार्ण मन्त्र से पीठ आदि में आधारशक्ति की स्थापना करके उसके ऊपर पुस्तक को विराजमान करें। इसके बाद शापोद्धार करना चाहिए।
- इसके बाद उत्कीलन मन्त्र का जप किया जाता है। इसका जप आदि और अन्त में इक्कीस-इक्कीस बार होता है।
-इसके जप के पश्चात् मृतसंजीवनी विद्या का जप करना चाहिए।
तत्पश्चात पूरे ध्यान के साथ माता दुर्गा का स्मरण करते हुए दुर्गा सप्तशती पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
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